गावो भगो गाव इन्द्रो मे अच्छान्गावः सोमस्य प्रथमस्य भक्षः ।
इमा या गावः स जनास इन्द्र इच्छामीद्धृदा मनसा चिदिन्द्रम् ॥५॥
ऋग्वेदः - मण्डल ६ ,
सूक्तं ६.२८ ,
बार्हस्पत्यो भरद्वाजः
- अर्थात् -
" गायें हमारा मुख्य धन हो, इन्द्र हमें गोधन प्रदान करें तथा यज्ञों की प्रधान वस्तु सोमरस के साथ मिलकर गायों का दूध ही उनका नैवेध बने। जिसके पास ये गायें है,
वह तो एक प्रकार से इन्द्र ही है। मैं अपने श्रद्धायुक्त मन से गव्य पदार्थों के इन्द्र (भगवान) का भजन करना चाहता हूँ। "
Livestock rearing is common and an integral component of state agriculture supporting livelihood of more than two-thirds of the rural population. Animals provide nutrient-rich food products, draught power, dung as organic manure and domestic fuel, hides & skin, and are a regular source of cash income for rural households. They are a natural capital, which can be easily reproduced to act as a living bank with offspring as interest, and an insurance against income shocks of crop failure and natural calamities.